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दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री पर विचार नहीं किया गया और वह गलत है। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने आदेश सुनाते हुए कहा कि केजरीवाल पर निचली अदालत के जमानत आदेश को चुनौती देने के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय की दलीलों पर उच्च न्यायालय को उचित विचार करने की आवश्यकता है। इस संबंधी ईडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि निचली अदालत द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए और उसे रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि अवकाशकालीन न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड में रखी गई सामग्री की जांच किए बिना ही अपने आदेश के लगभग हर पैराग्राफ में तथ्यों और कानून दोनों के आधार पर विपरीत निष्कर्ष दिए हैं।
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उन्होंने कहा कि 2023 के बाद अरविंद केजरीवाल के खिलाफ़ एकत्र की गई नई सामग्री पर अवकाश न्यायाधीश ने विचार नहीं किया। ईडी ने 13 अंगारिया, गोवा आप कार्यकर्ताओं और आप पदाधिकारियों के बयानों को नए बयानों के रूप में सूचीबद्ध किया है। ईडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा, “प्रवर्तन निदेशालय को पर्याप्त अवसर न देना धारा 45 की शर्तों में से एक का उल्लंघन है।” न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि मामले में अंतिम आदेश पारित किए बिना केजरीवाल की जमानत पर अंतरिम रोक लगाने का उच्च न्यायालय का फैसला “असामान्य” है। उन्होंने कहा कि स्थगन के मामलों में फैसले सुरक्षित नहीं रखे जाते बल्कि मौके पर ही सुनाए जाते हैं। यहां जो हुआ है, वह असामान्य है। हम इसे (मामले को) अगले दिन सुनेंगे। फिलहाल अभी सीएम केजरीवाल को जेल में ही रहना पड़ेगा।