योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जो शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित रखने के लिए विकसित की गई है: साध्वी कात्यायनी भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर में स्थित अपने स्थानीय आश्रम में विलक्षण योग एवं ध्यान शिविर का आयोजन किया गया। संस्थान की ओर से श्री गुरू आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री कात्यायनी भारती जी ने बताया कि योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जो शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित रखने के लिए विकसित की गई है। यह अद्वितीय तरीके से व्यायाम, प्राणायाम, और ध्यान का सम्मिश्रण है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने योग के विज्ञान और परिवर्तनकारी शक्ति को स्वयं अनुभव किया। शारीरिक और मानसिक व्यायामों का एक एसा संगठित मिश्रण प्रदान किया। जिसमें सभी को संपूर्ण स्वास्थ्य के प्रति एक तात्विक दृष्टिकोण प्रदान किया।

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साध्वी जी के अनुसार मानव मन की आरोग्यता ही मनुष्य के तन की आरोग्यता का मूल है। भारत के अनुभवी स्वास्थ्यविदों के अनुसार मनुष्य की 90 प्रतिशत बीमारियों का कारण इंसान का मन ही है ओर मन के स्तर पर उपजी जीवन की समस्याओं का निराकरण भी मन के स्तर पर उतर कर ही किया जा सकता है। जोकि योग के मूल आत्म योग को प्राप्त करके ही किया जा सकता है। साध्वी जी ने बताया की वैदिक योग पद्धति भी इस तथ्य को स्वीकार करती है कि स्वस्थ शब्द दो शब्दों से मिल कर बना शब्द है स्व+स्थ अर्थात स्वयं में स्थित होना ही स्वस्थ रहने का मूल है। बाह्य यौगिक क्रियाओं द्वारा जहाँ तन को स्वस्थ रखा जाता है वहीं ब्रह्म ज्ञान से प्राप्त ध्यान साधना की। क्रिया से मन स्वस्थ रहता है। जोकि मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन व सामाजिक जीवन हेतु अति लाभप्रद है। प्रकृति का योग के साथ संबंध बताते हुए साध्वी जी ने योग साधकों को पौधारोपण करने व जल सरंक्षण करने की प्रेरणा भी दी। साध्वी जी ने साधकों को अनुलोम विलोम प्राणायाम, चक्षु व्यायाम इत्यादि क्रियों का विधिवत अभ्यास करवाते हुए इनके शारीरिक लाभों से भी परिचित करवाया। इस विशेष उपलक्ष्य में कार्यक्रम के अंत में साधकों ने प्राणपन से धरती मां का रक्षण करने के लिए फसलों की नाड़ ना जलाने, नशा न करने, चरित्र निर्माण, जल संरक्षण, पौधारोपण कर प्रकृति ओर संस्कृति का संरक्षण करने का सामूहिक संकल्प भी लिया। साधकों ने सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करते हुए तथा कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए संस्थान का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

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