लावारिस पशु तो पकड़े नहीं, पर चलो सामान ढोने के काम तो आया कैचर, निगम कार्यप्रणाली के चर्चे

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नगर निगम अपनी कार्यप्रणाली को लेकर अकसर चर्चा में रहता है तथा बार-बार चेताए जाने के बावजूद भी अधिकारी वर्ग जनता को पेश आ रही समस्याओं को गंभीरता से लेना जरुरी नहीं समझता। वैसे भी अधिकारियों के पास अपने कमरों की साज सज्जा के लिए समय और पैसे दोनों हैं, मगर देखा गया है कि जनता को छोटी-छोटी समस्या को दूर करवाने के लिए खासी कसरत करनी पड़ती है। जिसके लिए उन्हें जहां कमिशनर व सहायक कमिशनर के पास बार-बार जाना पड़ता है वहीं काम न होने व काम में देरी होने की सूरत में मेयर का दरवाजा खटखटाने को विवश होना पड़ता है। जिसके चलते सरकार का अक्स भी जनता के बीच खराब होना स्वभाविक है। इस दिनों चुनाव की तैयारियों के दिन चल रहे हैं और नगर निगम कमिशनर के पास हलका शाम चौरासी का कार्यभार है।

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जिसके चलते हलका शाम चौरासी के हर बूथ पर सामान पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी के तहत बूथों पर व्हीलचेयर पहुंचाने संबंधी जिस गाड़ी का प्रयोग किया गया वह जानवरों को पकड़ने वाला कैचर था। कैचर में व्हीलचेयर भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने हेतु उसमें लादी हुईं थीं। लाखों रुपये खर्च करके निगम द्वारा यह कैचर लावारिस जानवरों को पड़ककर गऊशालाओं में छोड़ने के लिए खरीदा गया था, लेकिन इसका प्रयोग इस कार्य के लिए कितना किया गया, यह तो जग जाहिर है, परन्तु चुनाव के दिनों में कम से कम यह सामान ढोने के काम तो आया। जिससे इसकी उपयोगिता भी सिद्ध हो गई और काम भी हो गया। कैचर में ढोए जा रहे सामान की दृश्य देखकर शहर निवासियों में भी काफी खुशी की लहर पाई गई तथा लोगों में चर्चा रही कि चलो नगर निगम ने इस गाड़ी का कुछ तो उपयोग किया। अगर लावारिस जानवर जिनमें बड़े-बड़े सांड शामिल हैं को पकड़कर गऊशाला में छोड़ा जाता तो जनता को राहत मिल जाती तथा इसमें अधिकारी वर्ग के नंबर भी कम बनते, मगर चुनाव के दिनों में काम निपटाने के चक्कर में शायद वह भूल गए कि जो काम कर्मचारियों को सौंपा जा रहा है वह उसे करेंगे कैसे। क्योंकि, कर्मचारियों ने तो वही करना है तो हुक्म हुआ होगा।

अब सवाल यह है कि अगर नगर निगम ने जो वस्तु जिस काम के लिए खरीदी हो उसका उपयोग उसके लिए करना ही नहीं तो फिर लाखों रुपये बर्बाद करने का क्या लाभ। कैचर में सामान लादकर ले जाने को लेकर शहर में काफी चर्चा रही तथा खुद निगम कर्मियों ने भी इस बात को लेकर खूब चटकारे लिए कि चलो कैचर किसी काम तो आया। सांड कहां भागे जा रहे हैं, उन्हें फिर कभी पकड़ लेंगे।

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