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जनौड़ी (द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट : राकेश भार्गव । समूह ग्राम निवासी बसंतपुर ढोलवाहा द्वारा करवाए जा रहे श्रीमद्भागवत के चौथे दिन, उत्तरी भारत के सुप्रसिद्ध सनातन धर्म के प्रचारक ,अपनी मुरली से सभी को मोहित करने वाले, श्री नीलकंठ शास्त्री ने कथा का प्रारंभ अपनी मुरली से कृष्ण कन्हैया के भजनों की धुन से किया। उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए आज राजा बलि की कथा सुनाई। उन्होंने बताया के श्री वामन, भगवान विष्णु के अवतार हैं। त्रेता युग के प्रारंभ में भगवान विष्णु, वामन रूप में देवी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। यह भगवान विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए थे। इनके पिता प्रजापति कश्यप ऋषि थे।
उन्होंने कहा कि जब राजा बलि ने इंद्र से स्वर्ग का अधिकार छीन लिया तो सभी देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने आश्वासन दिया था कि वह तीनों लोगों को राजा बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए माता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लेंगे। यह उनका पृथ्वी पर पांचवा अवतार था। उन्होंने प्रह्लाद के पौत्र राजा बलि से दान में 3 पद पृथ्वी मांगी और अपने पैर से तीनों लोक नाप कर राजा बलि का घमंड चकनाचूर किया था। कथा व्यास जी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए समुद्र मंथन, रामावतार एवं कृष्णावतार का वृतांत सुनाया। उन्होंने जन्मे हैं कृष्ण मुरारी जी, बधाई होवे, सुनाकर उपस्थित भक्तों को नाचने पर विवश कर दिया। प्रबंधकों ने बताया कि पंचायत घर बसंतपुर में नित्य प्रति कथा 11:00 बजे से 2:00 बजे तक होगी। कथा के पश्चात सभी भक्तों के लिए लंगर प्रसाद की व्यवस्था भी की गई है। इस मौके ढोलवाहा, रामटटवाली, मनहोता तथा जनौड़ी से भी बहुत बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।
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