डिप्टी कमिशनर ने सी.ई.टी.पी. के अपग्रेडेशन प्राजैकट के लिए लाभपातरियों का हिस्सा 9 अगस्त तक जमा करवाने के लिए कहा

जलंधर(द स्टैलर न्यूज़)। डिप्टी कमिशनर घनश्याम थोरी ने कामन ऐफलूऐंट ट्रीटमेंट प्लांट (सी.ई.टी.पी.) लैदर कंपलैक्स के सभी 59 टैनर सदस्यों को सी.ई.टी.पी. के अपग्रेडेशन प्राजैकट के लिए लाभपातरियों के हिस्से पहली किश्त 9अगस्त तक जमा करवाने के लिए कहा है क्योंकि अंतरिम समिति के पास माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशें अनुसार डिफालटर इकाइयों को सील करने के इलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

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सी.ई.टी.पी. सदस्यों की जनरल हाऊस बैठक की अध्यक्षता करते हुए डिप्टी कमिशनर, जिन के साथ सीनियर वातावरण इंजीनियर तेजिन्दर कुमार, वातावरण इंजीनियर अरुण कुमार ककड, पीजीयो रणदीप सिंह गिल, चीफ़ सायंस्टिस्ट सैंट्रल लैदर रिर्सच इंस्टीट्यूट ऐस.के. मिस्रा, कार्यकारी इंजीनियर पंजाब जल स्पलाई और सिवरेज बोर्ड, जालंधर जितिन वासूदेवा और प्रशासकीय अधिकारी सी.ई.टी.पी. के.सी. डोगरा भी मौजूद थे, ने चमड़ो की टैनरियों के मालिकों के साथ बातचीत की और सी.ई.टी.पी. के साथ सम्बन्धित अलग -अलग मुद्दों पर उनके प्रश्नों के उत्तर दिए। 

डिप्टी कमिशनर ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेशें अनुसार अंतरिम समिति को 24 घंटों का आगामी नोटिस दे कर डिफालटर इंडस्ट्री विरुद्ध सीलिंग की कार्यवाही करने का निरदेश दिया गया है। उन्होंने सभी सदस्यों को इस प्राजैकट के नवीनीकरन के लिए आगे आने और अपनी पहली किश्त जमा करवाने की अपील की जिससे सी.ई.टी.पी. नवीनतम मापदण्डों अनुसार काम कर सके। मीटिंग दौरान कुछ टैनर सदस्यों ने अपने वित्तीय संकट की समस्या का हवाला देते हुए कहा कि वह अपग्रेडेश प्राजैकट की कुल लागत के उद्योग के 15 प्रतिशत हिस्से के लिए फंड उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार के पास पहुँच कर रहे हैं और समय माँगा है। जबकि सी.ई.टी.पी. के कुछ सदस्यों ने पीईटीऐस की तरफ से तारीख़ 28.07.2021 के बिलों सम्बन्धित पीईटीऐस दफ़्तर में चैक जमा करवाए हैं, जिन की आखिरी जमा तारीख़ 09.08.2021 है। 

सी.ई.टी.पी. के प्रशासकीय अधिकारी के.सी. डोगरा ने आगे बताते कहा कि एल -1एजेंसी को कार्य अवार्ड जारी करने के लिए समय सीमा का पालन करने के लिए माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों अनुसार “अंतरिम समिति कामन इफलूऐंट ट्रीटमेंट पलांट (सी.ई.टी.पी.) के कामकाज, रख -रखा, देखभाल और अपग्रेडेशन पर किये जाने वाले आवर्ती खर्चों के लिए उद्योगों से वैध बकाया वसूल करने की हकदार है जिससे यह ज़रुरी मापदण्डों को पूरा कर सके।” उन्हों ने यह भी बताया कि माननीय हाईकोर्ट के आदेशों में आगे कहा गया है कि “हम यह साफ़ करते हुए कहा कि यदि कोई गंदा पानी पैदा करने वाला उद्योग सी.ई.टी.पी. के रख -रखाव और संभाल में अपने हिस्से का योगदान देने में असफल रहता है, तो यहाँ उपरोक्त गठित अंतरिम समिति ऐसे उद्योग को 24 घंटों के नोटिस के बाद 48 घंटों अंदर सील कर देगी। “

इस दौरान जनरल हाऊस की तरफ से वर्तमान संचालन और रख -रखाव के काम को मौजूदा एजेंसी मैसर्ज जलवायु परिवर्तन सलाहकार इंजीनियरों को तीन महीनों की सीमा के लिए बडा दिया गया क्योंकि हाऊस के सदस्यों का कहना था कि इस कार्य के लिए मैसर्ज जेबियार टैकनॉलॉजी की वित्तीय बोलियों बहुत ज़्यादा थे। ज़िक्रयोग्य है कि अंतरिम समिति ने पहले सी.ई.टी.पी. के संचालन और रख -रखाव लिए टैंडर जारी किये थे और मैसर्ज जेबियार टैकनॉलॉजी से इकमातर बोली प्राप्त हुई थी, जिस को ऊँची दरों का हवाला देते हुए जनरल हाऊस की तरफ से रद्द कर दिया गया।

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